साइंटिस्ट ऑफ़ द मंथ
अल्बर्ट आइंस्टीन का जीवन जितना प्रेरणादायक था, उनकी मृत्यु भी उतनी ही विचारोत्तेजक रही। वे जीवन भर ज्ञान, शांति और मानवता के पक्षधर रहे। 18 अप्रैल 1955 को अमेरिका के न्यू जर्सी स्थित प्रिंसटन अस्पताल में उनकी मृत्यु हुई। उन्हें पेट की महाधमनी (aortic aneurysm) में फटने के कारण भर्ती कराया गया था। मृत्यु से पहले उन्होंने जीवन को सहजता से स्वीकार किया और कृत्रिम जीवनवृद्धि का विरोध किया। उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार, उनका शरीर दाह किया गया और राख को एक गुप्त स्थान पर प्रवाहित कर दिया गया, ताकि उन्हें किसी धर्मस्थल या मूर्तिपूजा का केंद्र न बनाया जाए।
दिलचस्प बात यह है कि मृत्यु के बाद उनके मस्तिष्क को वैज्ञानिक अध्ययन के लिए सुरक्षित रख लिया गया था, ताकि उनकी असाधारण बुद्धिमत्ता का कारण समझा जा सके। आज भी आइंस्टीन न केवल वैज्ञानिक समुदाय के लिए, बल्कि पूरे विश्व के लिए जिज्ञासा, स्वतंत्र सोच और इंसानियत का प्रतीक हैं।

साइंस से जुड़ने का पहला कदम – आज ही साइन अप करें !
ताज़ा विज्ञान समाचार, रोचक तथ्य, करियर गाइड्स और खास रिसर्च – अब सीधे आपके इनबॉक्स में ।